बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य : सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- 'गिल्लू' नामक रेखाचित्र का सारांश लिखिए।
उत्तर-
'गिल्लू' नामक रेखाचित्र में लेखिका ने अपने जीवन के एक अनुभव को हमारे साथ बाँटा है। यहाँ लेखिका ने अपने जीवन के उस पड़ाव का वर्णन किया है जहाँ उन्होंने एक गिलहरी के बच्चे को कौवों से बचाया था और उसे अपने घर में रखा था। लेखिका ने उस गिलहरी के बच्चे का नाम गिल्लू रखा था। यह पाठ उसी के इर्द-गिर्द घूम रहा है इसीलिए इस रेखाचित्र का नाम भी 'गिल्लू' ही रखा गया है। लेखिका ने जो भी समय गिल्लू के साथ बिताया उसका वर्णन लेखिका ने इस रेखाचित्र में किया है।
'गिल्लू' रेखाचित्र का सारांश
1. गिल्लू की स्मृति - इस रेखाचित्र में लेखिका ने अपने जीवन के उस पड़ाव का वर्णन किया है जहाँ उन्होंने एक गिलहरी के बच्चे को कौवों से बचाया था और उसे अपने घर में रखा था। लेखिका ने उस गिलहरी के बच्चे का नाम गिल्लू रखा था। लेखिका कहती है कि आज जूही के पौधे में कली निकल आई है जो पीले रंग की है। उस कली को देखकर लेखिका को उस छोटे से जीव की याद आ गई जो उस जूही के पौधे की हरियाली में छिपकर बैठा रहता था। परन्तु लेखिका कहती है कि अब तो वह छोटा जीव इस जूही के पौधे की जड़ में मिट्टी बन कर मिल गया होगा। क्योंकि अब वह मर चुका है और लेखिका ने उसे जूही के पौधे की जड़ में दबा दिया था।
2. गिल्लू का मिलना - लेखिका कहती है कि अचानक एक दिन जब वह सवेरे कमरे से बरामदे में आई तो उसने देखा कि दो कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से चुपके से छूकर छुप जाना और फिर छूना जैसा कोई खेल खेल रहे हैं। लेखिका कहती है कि यह कौवा भी बहुत अनोखा पक्षी है - एक साथ ही दो तरह का व्यवहार सहता है, कभी तो इसे बहुत आदर मिलता है और कभी बहुत ज्यादा अपमान सहन करना पड़ता है। लेखिका कहती है कि जब वह कौवों के बारे में सोच रही थी तभी अचानक से उसकी उस सोच में कुछ रुकावट आ गई क्योंकि उसकी नजर गमले और दीवार को जोड़ने वाले भाग में छिपे एक छोटे से जीव पर पड़ी। जब लेखिका ने निकट जाकर देखा तो पाया कि वह छोटा सा जीव एक गिलहरी का छोटा-सा बच्चा है। उस छोटे से जीव के लिए उन दो कौवों की चोंचों के दो घाव ही बहुत थे, इसलिए वह बिना किसी हरकत के गमले से लिपटा पड़ा था। लेखिका ने उसे धीरे से उठाया और अपने कमरे में ले गई, फिर रुई से उसका खून साफ़ किया और उसके जख्मों पर पेंसिलिन नामक दवा का मरहम लगाया। कई घंटे तक इलाज करने के बाद उसके मुंह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका।
3. गिल्लू का स्वस्थ होना - तीसरे दिन वह इतना अच्छा और निश्चिन्त हो गया कि वह लेखिका की उँगली अपने दो नन्हें पंजों से पकड़कर और अपनी नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर-उधर देखने लगा। सब उसे अब गिल्लू कह कर पुकारते थे।
4. गिल्लू की शैतानियाँ - लेखिका कहती है कि जब वह लिखने बैठती थी तब अपनी ओर लेखिका का ध्यान आकर्षित करने की गिल्लू की इतनी तेज इच्छा होती थी कि उसने एक बहुत ही अच्छा उपाय खोज निकाला था। वह लेखिका के पैर तक आता था और तेजी से परदे पर चढ़ जाता था और फिर उसी तेजी से उतर जाता था। उसका यह इस तरह परदे पर चढ़ना और उतरने का क्रम तब तक चलता रहता था जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए नहीं उठती थी। लेखिका गिल्लू को पकड़कर एक लम्बे लिफ़ाफ़े में इस तरह से रख देती थी। जब गिल्लू को उस लिफ़ाफ़े में बंद पड़े पड़े भूख लगने लगती तो वह चिक-चिक की आवाज करके मानो लेखिका को सूचना दे रहा होता कि उसे भूख लग गई है और लेखिका के द्वारा उसे काजू या बिस्कुट मिल जाने पर वह उसी स्थिति में लिफ़ाफ़े से बाहर वाले पंजों से काजू या बिस्कुट पकड़कर उसे कुतरता।
5. अपने साथियों से मिलने की इच्छा - लेखिका कहती है कि बाहर की गिलहरियाँ उसके घर की खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करके न जाने क्या कहने लगी? जिसके कारण गिल्लू खिड़की से बाहर झाँकने लगा। गिल्लू को खिड़की से बाहर देखते हुए देखकर उसने खिड़की पर लगी जाली की कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया और इस रास्ते से गिल्लू जब बाहर गया तो उसे देखकर ऐसा लगा जैसे बाहर जाने पर सचमुच ही उसने आजादी की साँस ली हो।
6. लेखिका को आकर्षित करना - लेखिका को जरूरी कागज़ों पत्रों के कारण बाहर जाना पड़ता था और उसके बाहर जाने पर कमरा बंद ही रहता था। लेखिका कहती है कि उसने कॉलेज से लौटने पर जैसे ही कमरा खोला और अन्दर पैर रखा, वैसे ही गिल्लू अपने उस जाली के दरवाजे से अन्दर आया और लेखिका के पैर से सिर और सिर से पैर तक दौड़ लगाने लगा। उस दिन से यह हमेशा का काम हो गया था। काजू गिल्लू का सबसे मनपसंद भोजन था और यदि कई दिन तक उसे काजू नहीं दिया जाता था तो वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बंद कर देता था या झूले से नीचे फेंक देता था।
7. लेखिका के प्रति गिल्लू कां समर्पण भाव - लेखिका कहती है कि उसी बीच उसे मोटर दुर्घटना में घायल होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा। उन दिनों जब कोई लेखिका के कमरे का दरवाजा खोलता तो गिल्लू अपने झूले से उतरकर दौड़ता, उसे लगता कि लेखिका आई है और फिर जब वह लेखिका की जगह किसी दूसरे को देखता तो वह उसी तेजी के साथ अपने घोंसले में जा बैठता। जो भी लेखिका के घर जाता वे सभी गिल्लू को काजू दे आते, परन्तु अस्पताल से लौटकर जब लेखिका ने उसके झूले की सफाई की तो उसमें काजू भरे मिले, जिनसे लेखिका को पता चला कि वह उन दिनों अपना मनपसंद भोजन भी कितना कम खाता रहा। लेखिका की अस्वस्थता में वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से लेखिका के सिर और बालों को इतने धीरे-धीरे सहलाता रहता कि जब वह लेखिका के सिरहाने से हटता तो लेखिका को ऐसा लगता जैसे उसकी कोई सेविका उससे दूर चली गई हो।
8. गिल्लू की अन्तिम रात - लेखिका कहती है कि गिलहरियों के जीवन का समय दो वर्ष से अधिक नहीं होता, इसी कारण गिल्लू की जीवन यात्रा का अन्त भी नजदीक आ ही गया। दिन भर उसने न कुछ खाया न बाहर गया। रात में अपने जीवन के अन्तिम क्षण में भी वह अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आया और अपने ठण्डे पंजों से लेखिका की वही उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन में पकड़ा था जब वह मृत्यु के समीप पहुँच गया था। सुबह की पहली किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया। अर्थात् उसकी मृत्यु हो गई।
निष्कर्ष - लेखिका ने गिल्लू की मृत्यु के बाद उसका झूला उतारकर रख दिया और खिड़की की जाली को बंद कर दिया, परन्तु गिलहरियों की नयी पीढ़ी जाली के दूसरी ओर अर्थात् बाहर चिक-चिक करती ही रहती है और जूही के पौधे में भी बसंत आता ही रहता है। सोनजुही की लता के नीचे ही लेखिका ने गिल्लू की समाधि बनाई थी अर्थात् लेखिका ने गिल्लू को उस जूही के पौधे के - नीचे दफनाया था क्योंकि गिल्लू को वह लता सबसे अधिक प्रिय थी। लेखिका ने ऐसा इसलिए भी किया था क्योंकि लेखिका को उस छोटे से जीव का, किसी बसंत में जूही के पीले रंग के छोटे फूल में खिल जाने का विश्वास, लेखिका को एक अलग तरह की खुशी देता था।
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- प्रश्न- आदिकाल के हिन्दी गद्य साहित्य का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- हिन्दी नाटक के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी साहित्य के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- आख्यायिका एवं कथा पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सम्पादकीय लेखन का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- रेडियो रूपक एवं पटकथा लेखन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- हिन्दी कहानी के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
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- प्रश्न- सचेतन कहानी आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जनवादी कहानी आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
- प्रश्न- समांतर कहानी आंदोलन के मुख्य आग्रह क्या थे ?
- प्रश्न- हिन्दी डायरी लेखन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- यात्रा सहित्य की विशेषतायें बताइये।
- अध्याय - 3 : झाँसी की रानी - वृन्दावनलाल वर्मा (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा के जीवन वृत्त एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- झाँसी की रानी उपन्यास में वर्मा जी ने सामाजिक चेतना को जगाने का पूरा प्रयास किया है। इस कथन को समझाइये।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास में रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- झाँसी की रानी के सन्दर्भ में मुख्य पुरुष पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास के पात्र खुदाबख्श और गुलाम गौस खाँ के चरित्र की तुलना करते हुए बताईये कि आपको इन दोनों पात्रों में से किसने अधिक प्रभावित किया और क्यों?
- प्रश्न- पेशवा बाजीराव द्वितीय का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- अध्याय - 4 : पंच परमेश्वर - प्रेमचन्द (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'पंच परमेश्वर' कहानी का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की शिक्षा, योग्यता और मान-सम्मान की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- “अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधारक होता है।" इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 5 : पाजेब - जैनेन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- श्री जैनेन्द्र जैन द्वारा रचित कहानी 'पाजेब' का सारांश अपने शब्दों में लिखिये।
- प्रश्न- 'पाजेब' कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'पाजेब' कहानी की भाषा एवं शैली की विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 6 : गैंग्रीन - अज्ञेय (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर अज्ञेय द्वारा रचित 'गैंग्रीन' कहानी का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'गैंग्रीन' में अज्ञेय जी मालती की घुटन को किस प्रकार चित्रित करते हैं?
- प्रश्न- अज्ञेय द्वारा रचित कहानी 'गैंग्रीन' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 7 : परदा - यशपाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परदा' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'परदा' कहानी का खान किस वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, तर्क सहित इस कथन की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- यशपाल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- अध्याय - 8 : तीसरी कसम - फणीश्वरनाथ रेणु (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है ?
- प्रश्न- हीरामन की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए?
- अध्याय - 9 : पिता - ज्ञान रंजन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- अध्याय - 10 : ध्रुवस्वामिनी - जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक का कथासार अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नाटक के तत्वों के आधार पर ध्रुवस्वामिनी नाटक की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक के आधार पर चन्द्रगुप्त के चरित्र की विशेषतायें बताइए।
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी नाटक में इतिहास और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य हुआ है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से ध्रुवस्वामिनी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'धुवस्वामिनी' नाटक के अन्तर्द्वन्द्व किस रूप में सामने आया है ?
- प्रश्न- क्या ध्रुवस्वामिनी एक प्रसादान्त नाटक है ?
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' में प्रयुक्त किसी 'गीत' पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रसाद के नाटक 'ध्रुवस्वामिनी' की भाषा सम्बन्धी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- अध्याय - 11 : दीपदान - डॉ. राजकुमार वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- " अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है।" 'दीपदान' एकांकी में पन्ना धाय के इस कथन के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का कथासार लिखिए।
- प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का उद्देश्य लिखिए।
- प्रश्न- "बनवीर की महत्त्वाकांक्षा ने उसे हत्यारा बनवीर बना दिया। " " दीपदान' एकांकी के आधार पर इस कथन के आलोक में बनवीर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- अध्याय - 12 : लक्ष्मी का स्वागत - उपेन्द्रनाथ अश्क (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी की कथावस्तु लिखिए।
- प्रश्न- प्रस्तुत एकांकी के शीर्षक की उपयुक्तता बताइए।
- प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी के एकमात्र स्त्री पात्र रौशन की माँ का चरित्रांकन कीजिए।
- अध्याय - 13 : भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?' निबन्ध का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- लेखक ने "हमारे हिन्दुस्तानी लोग तो रेल की गाड़ी हैं।" वाक्य क्यों कहा?
- प्रश्न- "परदेशी वस्तु और परदेशी भाषा का भरोसा मत रखो।" कथन से क्या तात्पर्य है?
- अध्याय - 14 : मित्रता - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'मित्रता' पाठ का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- सच्चे मित्र की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा-शैली पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 15 : अशोक के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के नाम की सार्थकता पर विचार करते हुए उसका सार लिखिए तथा उसके द्वारा दिये गये सन्देश पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के आधार पर उनकी निबन्ध-शैली की समीक्षा कीजिए।
- अध्याय - 16 : उत्तरा फाल्गुनी के आसपास - कुबेरनाथ राय (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- निबन्धकार कुबेरनाथ राय का संक्षिप्त जीवन और साहित्य का परिचय देते हुए साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- कुबेरनाथ राय द्वारा रचित 'उत्तरा फाल्गुनी के आस-पास' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कुबेरनाथ राय के निबन्धों की भाषा लिखिए।
- प्रश्न- उत्तरा फाल्गुनी से लेखक का आशय क्या है?
- अध्याय - 17 : तुम चन्दन हम पानी - डॉ. विद्यानिवास मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यानिवास मिश्र की निबन्ध शैली का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "विद्यानिवास मिश्र के निबन्ध उनके स्वच्छ व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति हैं।" उपरोक्त कथन के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- पं. विद्यानिवास मिश्र के निबन्धों में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 : रेखाचित्र (गिल्लू) - महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'गिल्लू' नामक रेखाचित्र का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- सोनजूही में लगी पीली कली देखकर लेखिका के मन में किन विचारों ने जन्म लिया?
- प्रश्न- गिल्लू के जाने के बाद वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
- अध्याय - 19 : संस्मरण (तीन बरस का साथी) - रामविलास शर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- संस्मरण के तत्त्वों के आधार पर 'तीस बरस का साथी : रामविलास शर्मा' संस्मरण की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'तीस बरस का साथी' संस्मरण के आधार पर रामविलास शर्मा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 20 : जीवनी अंश (आवारा मसीहा ) - विष्णु प्रभाकर (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विष्णु प्रभाकर की कृति आवारा मसीहा में जनसाधारण की भाषा का प्रयोग किया गया है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' अथवा 'पथ के साथी' कृति का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- विष्णु प्रभाकर के 'आवारा मसीहा' का नायक कौन है ? उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में समाज से सम्बन्धित समस्याओं को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में बंगाली समाज का चित्रण किस प्रकार किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के रचनाकार का वैशिष्ट्य वर्णित कीजिये।
- अध्याय - 21 : रिपोर्ताज (मानुष बने रहो ) - फणीश्वरनाथ 'रेणु' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ 'रेणु' कृत 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में रेणु जी किस समाज की कल्पना करते हैं?
- प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में लेखक रेणु जी ने 'मानुष बने रहो' की क्या परिभाषा दी है?
- अध्याय - 22 : व्यंग्य (भोलाराम का जीव) - हरिशंकर परसाई (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई द्वारा रचित व्यंग्य ' भोलाराम का जीव' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'भोलाराम का जीव' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरिशंकर परसाई की रचनाधर्मिता और व्यंग्य के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 23 : यात्रा वृत्तांत (त्रेनम की ओर) - राहुल सांकृत्यायन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- यात्रावृत्त लेखन कला के तत्त्वों के आधार पर 'त्रेनम की ओर' यात्रावृत्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राहुल सांकृत्यायन के यात्रा वृत्तान्तों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- अध्याय - 24 : डायरी (एक लेखक की डायरी) - मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित 'एक साहित्यिक की डायरी' कृति के अंश 'तीसरा क्षण' की समीक्षा कीजिए।
- अध्याय - 25 : इण्टरव्यू (मैं इनसे मिला - श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी) - पद्म सिंह शर्मा 'कमलेश' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- "मैं इनसे मिला" इंटरव्यू का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- पद्मसिंह शर्मा कमलेश की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 26 : आत्मकथा (जूठन) - ओमप्रकाश वाल्मीकि (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- ओमप्रकाश वाल्मीकि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालते हुए 'जूठन' शीर्षक आत्मकथा की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आत्मकथा 'जूठन' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- दलित साहित्य क्या है? ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की भाषिक-योजना पर प्रकाश डालिए।